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लेखनी प्रतियोगिता -30-Nov-2022


ओ जीवन के साथी कितने ऋतु बीते
तुम साथ रहे हरदम जीवनसाथी बनके।

कितने मौसम आये कितने बीत गए
सुख के बादल कभी और कभी बाधाएं
पर जब भी मुड़कर देखा तुम साथ दिखे
तुम साथ रहे हरदम जीवनसाथी बनके।

कितने सम्बंध बने कितने टूटे बिखरे
जीवन सागर में हम साथ तुम्हारे उतरे
सच्चा प्रेम तुम्हारा बाकी बन्धन फीके
हरदम साथ रहो जीवनसाथी बनके।

मेरा तुमसे है तन मन अंतरतम का नाता
इतना प्रेम जो शब्दों भावों में नहीं समाता
बस तुम ही समझे बात सभी मेरे मन के
हरदम साथ रहो जीवनसाथी बनके।

दुनिया क्या है आती जाती माया है
मैंने खुद को देकर तुमको पाया है
साथी वृद्धापन के, रक्षक यौवन के
हरदम साथ रहो जीवनसाथी बनके।

तुम हो हाथ और मैं इन हाथों की रेखा
जीवन का हर रंग तुम्हारे संग में देखा
हर विपदा रहे खड़े तुम हरदम तनके
हरदम साथ रहो मेरे जीवनसाथी बनके।।



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5 Comments

Gunjan Kamal

05-Dec-2022 07:23 PM

बहुत खूब

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Rajeev kumar jha

02-Dec-2022 07:48 AM

बहुत खूब

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बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌

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